we chahte hai...!!


उन्हें शौख है चांदमारी का,
घर में बैठ के सवारी का,

वे चाहते है चिरंजीव रहना,
सहम कर  सहना और सजीव रहना,

वे चाहते है तोडना चट्टान,
डर लगता है कंचों के साथ,

वे चाहते है  बनना चण्ड,
पर महकते है भय का दुर्गंध,

वे चाहते है लगाना चपत,
उंगलिया टूटी है शत-प्रतिशत,

वे चाहते है बनना चरित्रवान,
तीन चरित्रों को एक साथ सान,

वे चाहते है करना चमत्कार,
कर नहीं सकते स्व-सत्कार,

वे चाहते है पीना चरणामृत,
भला मृत कही  पीता अमृत।

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  1. visit also http://www.poetrysoup.com/poem/tum_rashtra_ke_pandav_ho_714157

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