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यहाँ भी हैं , वहा भी हैं ...

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ये जो तुम्हारा जहां है यहाँ भी हैं वहा भी हैं तुम्हारा रूप, रंग, रस, रास ; यहाँ भी हैं वहा भी हैं तुम्हारे अधरों के तट से बहता मध वो गर्दन के तराश से आंकता कोहिनूर सौंदर्य का ये सरोवर जो है वहाँ उसकी भीनी खुशबू यहाँ भी हैं वहा भी हैं परंतु , आज जो हम मग़रूर है, तो तुम  भी चूर हो याद तुम्हें भी आ रही लकीरे मेरी भी बदल रहीं जो आस यहाँ है, पायल के वेग की अधरों की अस्थिरता, यहां-वहाँ भी हैं अब ना तुम यहाँ हो, ना वहाँ हों बस वही सफ़ेद इश्क़ यहाँ भी हैं वहा भी हैं  ... 

एक पत्र जिंदगी के नाम ...!!

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सुनो जिंदगी , इस बार जरा तुम सज संवर कर आओ, अखाड़े में।  वो जो ट्रांसपेरेंट चाक़ू है ना तुम्हारे पास, जो गले में घुसेड़ती हो, ज़रूर लेकर आना और वो सारे हथियार लाना जो भी तुम्हारे पसंदीदा है। मैं निहत्था आऊंगा और तुम्हारा गला घोंट दूंगा , तुम्हारी आँखों में देखकर। चाहे तुम मेरे चेहरे पर मुक्का मारो या उस पैनी ट्रांसपेरेंट चाकू को मेरे बगल में घुसेड़ दो। एक बात और, अगर तुम अपनी छिछोरी चाल से बच भी गयी तो कसम से बता रहे है, वही गिराकर, तुम्हारी छाती फाड़कर अपने हाथों से तुम्हारे कलेजे के चीथड़े कर देंगे।  इस बार तुम्हारे हरेक पैंतरे और अंदाज बेमानी होंगे क्योंकि तुम्हारे जुल्म का घड़ा फूटने वाला है और अब मेरी बारी है तुम्हे मुक्ति देने की।  कसम से तुम एक बार आ जाओ या दिख जाओ कही, वही अपने ललाट को तुम्हारे खून से नहीं रंगा तो मेरा नाम भी मौत नहीं। आओ जिंदगी तुम्हे आलिंगन करने के लिए मचल रहे हैं।  तुम्हारा होने वला  मृत्यु   

होना या ना होना

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Add caption ये सुगंध, जो तुम्हारे होने से है इसी होने से है  विरह की चीत्कार  तुम्हारे अधरों की नमी से  पुनर्जीवित होते भावनाओ के अवशेष  विखरते लफ्ज़  और संकलित होते होठों  का  संगम, है विहंगम दृश्य  अधरों का ये साधारण स्पर्श  विसर्जन है एकाकीपन का ...