रूलाती है, सताती हैं - शिवम् शाही
रूलाती है सताती हैं
और फिर याद आती है।
तुने जो छोड़ा है आँखों में होठों की कहानियाँ,
जो हाथों की लकीरों में है तेरी निशानियाँ,
तुम्हारी जुल्फों की खुशबू, कानों की बालियाँ,
अधखुली आखों की वो बेपरवाह मदहोशीयाँ,
वो उंगलियों का लिपटना रास्तों को पीछे छोड़ना,
बेझिझक हया से तुम्हारी कुछ बातों को बोलना,
तुम्हारी कमर पर मेरी पाक उंगलियों का थिरकना,
वो खुली जुल्फें, खिची अधरों से मेरी तरफ आना,
वो अनकही बातों का तेरा समझना, मुझे समझाना,
याद आती है सताती हैं,
और फिर बहुत रूलाती हैं।
- शिवम् शाही

तुने जो छोड़ा है आँखों में होठों की कहानियाँ,
जो हाथों की लकीरों में है तेरी निशानियाँ,
तुम्हारी जुल्फों की खुशबू, कानों की बालियाँ,
अधखुली आखों की वो बेपरवाह मदहोशीयाँ,
वो उंगलियों का लिपटना रास्तों को पीछे छोड़ना,
बेझिझक हया से तुम्हारी कुछ बातों को बोलना,
तुम्हारी कमर पर मेरी पाक उंगलियों का थिरकना,
वो खुली जुल्फें, खिची अधरों से मेरी तरफ आना,
वो अनकही बातों का तेरा समझना, मुझे समझाना,
याद आती है सताती हैं,
और फिर बहुत रूलाती हैं।
- शिवम् शाही
nice effort...its new way to write poem!!
ReplyDeletethanx!! :)
Deletehttp://www.poetrysoup.com/poem/tum_rashtra_ke_pandav_ho_714157
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