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Showing posts from June, 2021

यक़ीं तक आएगा इक दिन गुमाँ, ग़लत था मैं - अमित गोस्वामी

One of the nice poems written by Amit Goswami! यक़ीं तक आएगा इक दिन गुमाँ, ग़लत था मैंमुझे लगा था छँटेगा धुआँ, ग़लत था मैं मेरी तड़प पे भी आँखों में तेरी अश्क न थे मुझे यक़ीन हुआ तब, कि हाँ, ग़लत था मैं नज़र में अक्स तेरा, दिल में तेरा दर्द लिए मैं कब से सोच रहा हूँ, कहाँ ग़लत था मैं लगा था अश्कों से धुल जाएँगे मलाल के दाग़ मगर हैं दिल पे अभी तक निशाँ, ग़लत था मैं मेरा जुनून था क़ुर्बत के रतजगे लेकिन मेरा नसीब है तन्हाइयाँ, ग़लत था मैं - अमित गोस्वामी

वो रुलाकर हँस न पाया देर तक - नवाज़ देवबंदी

One of the poems written by famous Indian poet Nawaj Deobandi in his early life. Amazing way of expression. वो रुलाकर हँस न पाया देर तक जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक भूलना चाहा अगर उस को कभी और भी वो याद आया देर तक भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये माँ ने फिर पानी पकाया देर तक गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर धूप रहती है ना साया देर तक -नवाज़ देवबंदी